पवित्र पापी
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लागते अनाम ओढ श्वासांना
रात्र हि नवी जुनी वेदना तुझी आठवण माझी साधना, जलतो मी पतंगा सारखा निरभ्र आकाशी जसा काजवा.
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Saturday, July 14, 2007
प्रिय आईस
आ मन्ह्जे आत्मा
ई मन्ह्जे ईश्वर
अहोरात्र कष्ट करुन सदैव
हसत राहणारा तो परमेश्वर.
© सचिन चाफेरकर.
2 comments:
Seema Salaskar (Santoshi)
said...
अप्रतिम!!!
April 21, 2010 at 12:42 PM
"TIGER"
said...
शेवटी आई.
April 27, 2013 at 5:32 PM
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2 comments:
अप्रतिम!!!
शेवटी आई.
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